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अमृतमयी त्रिवेणी

तीर्थराज प्रयाग में सूरज की पहली किरण के निकलने से पहले ही घने कोहरे व कड़कड़ाती ठंड के बीच मकर संक्रांति के पावन पर्व पर महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर पूरी दुनिया भक्ति की त्रिवेणी में समा गई।

मंगलवार को सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए अखाड़ों ने संगम में दिव्य-भव्य अमृत स्नान किया। भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ युद्ध कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा के साथ पहुंचे नागा साधु, संतों की दिव्यता और करतब देखकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। अखाड़ों के आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर सज- धज कर रथों से संगम तक पहुंचे।

 

देश ही नहीं, दुनियाभर के संस्कृति प्रेमी एक तट पर इस दुर्लभ घड़ी का साक्षी बनने के लिए ब्रक्ष्म मुहूर्त में ही उमड़ पड़े। आस्था की लहरों ने ऐसी हिलोरें लीं कि देर रात तक 3.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे। अब मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान, जबकि वसंत पंचमी पर तीन फरवरी को तीसरा अमृत स्नान होगा। महानिर्वाणी अखाड़े ने सबसे पहले लगाई डुबकी

सबसे पहले रथ पर सवार होकर महानिर्वाणी अखाड़े के नागा संन्यासी और महामंडलेश्वर अमृत स्नान के लिए पहुंचे। उनके पीछे भस्म से लिपटे अटल अखाड़े के नागा तलवार, भालों के साथ जयकारा लगाते चल रहे थे। सबसे अंत में 3:50 बजे निर्मल अखाड़े के संतों ने स्नान किया। गंगा की गोद में बच्चों सी अठखेलियां

 

प्रथम अमृत स्नान के दौरान नागा साधुओं ने पारंपरिक और अद्वितीय गतिविधियों से सभी का ध्यान आकर्षित कर लिया। • ज्यादातर अखाड़ों का नेतृत्व कर रहे नागा साधु भाले और तलवारें लहराते हुए युद्ध कला का प्रदर्शन करते संगम तट पर पहुंचे।

 

पहुंचे। जटाओं में फूल, मालाएं, हवा में त्रिशूल लहराते और नगाड़े बजाते इन साधुओं ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

■ स्नान के लिए निकली अखाड़ों की शोभा यात्रा में सैकड़ों नागा घोड़ों पर सवार होकर

 

■ साधुओं ने 21 श्रृंगार के साथ पहली डुबकी लगाई। हिमालय की कंदराओं, मठों, मंदिरों में रहने वाले धर्मरक्षक नागा मां गंगा की गोद में बच्चों तरह

 

दूसरा अमृत स्नान: तीसरा अमृत स्नान

मौनी अमावस्या, 29 जनवरी : वसंत पंचमी, तीन फरवरी

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