लोकल न्यूज़

पंतनगर: सूखी ठंड से गेहूं की फसल को पीले रतुआ का खतरा

पंतनगर। ला नीना प्रभाव के चलते प्रशांत महासागर में विक्षोभ सक्रिय नहीं हो रहे हैं। इसके चलते तीन माह सूखे के बाद दिसंबर में मात्र 5-7 मिमी बारिश होने से सूखी ठंड पड़ रही है। इस सूखी ठंड के कारण गेहूं की फसल में येलो रस्ट (पीला रतुआ) लगने की संभावना बढ़ गई है। इधर, मौसम विशेषज्ञ के अनुसार अगले – चार दिन बारिश की संभावना नहीं है।

 

जीबी पेत कृषि और प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में प्लांट पैथोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. बिजेंद्र कुमार ने बताया कि नवंबर-दिसंबर और जनवरी में अमूमन चार-पांच पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होते थे। इससे बारिश होती थी और रस्ट ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाती थी लेकिन, इस बार विक्षोभ सक्रिय नहीं होने से ठंड के मौसम में अब तक नहीं के बराबर बारिश हुई है। इससे गेहूं की फसल में पहले येलो फिर ब्राउन रस्ट के प्रकोप की संभावना बढ़गई है। डॉ. बिजेंद्र ने बताया कि गेहूं में येलो रस्ट के लिए प्रॉपिकोना (टिल्ट), व्हाइट रस्ट के लिए मैटालेजिल का उपयोगी साबित होता है।

 आलू में पछेती झुलसा रोग की संभावना

पंतनगर। पिछले कई वर्षों में आलू के उत्पादन में कमी आई है। इसको मुख्य कारण आलू का पछेती झुलसा रोग है। अखिल भारतीय समन्वित आलू शोध परियोजना, मौसम विभाग और पंतनगर विवि ने इंडोब्लाइटीकास्ट मॉडल से मिले संकेत में

निकटवर्ती क्षेत्रों में आलू के पछेती झुलसा रोग की संभावना व्यक्त की है। पादप रोग विज्ञान की प्राध्यापक डॉ. शैलबाला शर्मा ने आलू उत्पादक किसानों को सलाह दी है कि जिन किसानों ने फफूंदनाशक का छिड़काव नहीं किया है, वह पछेती झुलसा रोग से बचाव के लिए मैंकोजेब का घोल बनाकर अतिशीघ्र छिड़काव करें। यदि मौसम ठंडा और आसमान में बादल बने रहते हैं, तो परिस्थिति रोग प्रसार के बेहद अनुकूल है। इस स्थिति में सात से 10 दिन बाद मैंकोजेब का पुनः छिड़काव करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!