भक्ति, सादगी और सेवा के प्रतीक थे महंत राजेन्द्र अग्रवाल
श्री बालाजी महाराज की भक्ति का तार भक्ति में जन-जन तक पहुँचाने वाले महंत जी के निधन से शोक की लहर
रिपोर्टर – ईशान श्रीवास्तव (सहारा टाइम्स)
धार्मिक आस्था, सादगी, और सेवा भावना के प्रतीक रहे महंत राजेन्द्र अग्रवाल का हाल ही में निधन हो गया। उनके जाने से पूरे क्षेत्र में गहरा शोक व्याप्त है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन श्री बालाजी महाराज की भक्ति और समाज सेवा को समर्पित कर दिया था।
महंत जी अपने विनम्र स्वभाव, सरल जीवनशैली और दृढ़ संकल्प के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा समाज में धर्म, प्रेम, और एकता का संदेश दिया। जीवन के अंतिम दिनों में भी उन्होंने आस्था और हिम्मत का दामन नहीं छोड़ा, चाहे शारीरिक कष्ट कितना भी क्यों न हो।
सेवा और सादगी का जीवन
महंत राजेन्द्र अग्रवाल ने सदैव सेवा को ही सर्वोच्च धर्म माना। वे हमेशा जरूरतमंदों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे। समाज में गरीबों, असहायों और पीड़ितों की मदद करना उनका जीवन उद्देश्य था।
उनकी वाणी में विनम्रता और व्यवहार में आत्मीयता थी, जिसने उन्हें हर व्यक्ति के दिल के करीब बना दिया।
भक्ति का प्रसार
श्री बालाजी महाराज की भक्ति को जन-जन तक पहुँचाने में उनका योगदान अमूल्य रहा। वे प्रतिदिन पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन के माध्यम से लोगों को धर्म से जोड़ते थे। उनके प्रवचन और विचार हमेशा लोगों को प्रेरित करते थे कि “भक्ति में शक्ति है और सेवा में सुख”।
अटूट विश्वास और अदम्य साहस
महंत जी ने जीवन में अनेक कठिन परिस्थितियों का सामना किया, परंतु कभी अपने विश्वास को डगमगाने नहीं दिया। बीमारी के दौरान भी उन्होंने अपने अनुयायियों को धैर्य, विश्वास और सेवा का संदेश दिया।
वे कहा करते थे कि, “शरीर को असहनीय कष्ट मिले, पर आस्था और हिम्मत कभी नहीं टूटनी चाहिए।”
जन-जन के प्रिय संत
महंत राजेन्द्र अग्रवाल के निधन से भक्तों, अनुयायियों और श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई है। हर किसी की आँखें नम हैं, लेकिन उनके द्वारा दिखाया गया भक्ति, सादगी और सेवा का मार्ग सदैव प्रेरणा देता रहेगा।




