रुद्रपुर: आरक्षण के भूगोल ने गणित बिगाड़ा
सीट के सामान्य होने की उम्मीद को आरक्षण ने दिया झटका, अब विकल्प तलाशने में जुटे दावेदार
रुद्रपुर। शहर की सरकार चुनने के लिए आरक्षण घोषित होने के बाद सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। कई सीटों पर आरक्षण के भूगोल से दावेदारों का सियासी गणित बिगड़ गया है। रुद्रपुर निगम में 16 साल बाद अध्यक्ष की सीट अनारक्षित घोषित हुई है। इसके चलते दावेदारी के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे सामान्य श्रेणी के नेता उत्साहित हैं लेकिन आरक्षित वर्ग के बड़े नेता दावेदारी कर टिकट की राह को मुश्किल भी कर सकते हैं।
रुद्रपुर नगर पालिका 2003 में अनारक्षित हुई थी। उस समय हुए चुनाव में राजकुमार ठुकराल पालिकाध्यक्ष बने थे। इसके बाद 2008 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हो गई। इसमें कांग्रेस से मीना शर्मा पालिकाध्यक्ष चुनी गई। 2013 में नगर निगम की सीट एसमी महिला के आरक्षित हुई थी और भाजपा से सोनी कोली को जीत हासिल हुई थी। 2018 में यह सीट एससी के लिए आरक्षित हुई थी और रामपाल सिंह मेयर बने थे।
छह वाडों के आरक्षण में बदलाव….
तगर निगम के 40 में से आधा दर्जन वाडों में आरक्षण के समीकरण बदले हैं। पिछले चुनाव में वार्ड नंबर एक फुलसुंगा फुलसुंगी अनारक्षित थी और इस बार अन्य पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है। अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कार्ड सात और वार्ड नंबर नौ इस बार अनारक्षित है। वार्ड दस पिछले चुनाव में अन्य पिछली जाति महिला के लिए आरक्षित थी। इस बार अन्य पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित की गई है। पिछले चुनाव में अनारक्षित कार्ड 32 भूरारानी इस बार अन्य पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है। वहीं वार्ड 38 को इस चुनाव में अनारक्षित किया गया है।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए चार पार्षदों के लिए मुश्किलें
रुद्रपुर। कांग्रेस के चार पार्षदों ने पार्टी को छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी लेकिन इनमें से वार्ड नंबर एक के पार्षद रहे सुरेश गौरी की सीट अन्य पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हो चुकी है। सुरेश नगला नगर पालिका से अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और वहां भी सीट आरक्षित हो चुकी है। वार्ड नौ से शिवकुमार गंगवार भाजपा में शामिल हुए थे और वहां की सीट सामान्य हो चुकी है। इस सीट पर भाजपा से टिकट लाने के लिए गंगवार को कड़ी चुनौती मिलेगी। वार्ड 31 की सीट का आरक्षण पूर्ववत ही है लेकिन निवर्तमान पार्षद सुनीता मुंजाल को नई पार्टी भाजपा से टिकट लेने के लिए खूब जोर लगाना होगा। वार्ड 21 से पार्षद रहे अमित मिश्रा की सीट का आरक्षण तो नहीं बदला मगर नई पार्टी के कई दावेदारों की टिकट की रेस में उनको खड़ा होना पड़ेगा। इसी तरह वार्ड 39 आवास विकास पूर्वी से पार्षद रहे रमेश कालड़ा को इस चुनाव में भाजपा में ही टिकट के कई दावेदारों से जूझना पड़ेगा।
काशीपुर : अनारक्षित सीटें एक तिहाई कम
काशीपुर। नगर निगम के चुनाव में वर्ष 2018 में 19 सीटें आरक्षित थीं। वर्ष 2024 में इसकी संख्या बढ़ाकर 26 करने से दावेदारों में हलचल पैदा हो गई है। हालांकि डीएम ने 21 दिसंबर तक आरक्षित सीटों पर आपत्ति व सुझाव आमंत्रित किए हैं। उसके बाद ही वार्डों में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
नगर निगम 2024-25 का चुनाव वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार तय हो गया है। वर्ष 2018 के चुनाव में ओबीसी की 14 फीसदी आबादी थी। वहीं वर्ष 2024 में एकल आयोग की सिफारिश के बाद आंकड़ा बढ़कर 38.62 फीसदी होने से ओबीसी सीटों का आरक्षण बढ़ गया है। वर्ष 2018 में नगर निगम की अनारक्षित सीटें 21 थीं, जो वर्ष 2024- 25 में घटकर 14 रह गईं हैं। जिलाधिकारी की ओर से जारी सूची में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 10 से घटकर अब सात और अनारक्षित सीटें 2.1 से घटकर 14 रह गईं हैं। ओबीसी की आरक्षित सीटें पांच से बढ़कर 15 हो गई हैं। एससी की सीटें साल 2018 की तरह चार ही हैं। इस आरक्षण पर 21 दिसंबर की शाम 5 बजे तक दावेदार सुझाव और आपत्ति जिलाधिकारी कार्यालय दर्ज करवा सकते हैं।